रस के कितने अंग होते हैं? नाम लिखिए।
Answers
रस के चार अंग होते हैं, जोकि इस प्रकार हैं...
1. स्थाई भाव
2. विभाव
3. अनुभाव
4. संचारी भाव
1. स्थाई भाव : स्थाई भाव से तात्पर्य उस भाव से है, जो किसी के हृदय में स्थाई रूप से विद्यमान रहे। किसी दुखी व्यक्ति दुखी अवस्था को देखकर उत्पन्न हुई दया और करुणा एक स्थाई भाव है। स्थाई भाव की संख्या 10 होती है।
2. विभाव : स्थाई भाव उत्पन्न होने का जो कारण होता है, उसे विभाव कहा जाता है। विभाव के दो भेद होते हैं...
○ आलंबन और उद्दीपन
‘आलंबन’ से तात्पर्य जिसके प्रति स्थाई भाव उत्पन्न हो वह ‘आलंबन विभाव’ कहलाता है।
‘उद्दीपन’ से तात्पर्य भावों को बढ़ाने यानि उद्दीप्त करने क्रिया अर्थात जिन वस्तु या परिस्थितियों को देखकर स्थाई भाव में उद्दीपन हो उसे ‘उद्दीपन विभाव’ कहते हैं।
3. अनुभाव : जो आश्रय होता है, उसके द्वारा की व्यक्त की जाने वाली शारीरिक चेष्टा को ‘अनुभाव’ कहते हैं। शारीरिक विकार द्वारा व्यक्त किये जाने वाले मन के भाव को ‘अनुभाव’ कहते हैं। अनुभाव के आठ भेद होते हैं।
4. संचारी भाव : आश्रय के चित्त में जो अस्थाई मनोभाव उत्पन्न होते हैं, वे संचारी भाव कहलाते हैं। संचारी भाव के कुल 33 भेद होते हैं।
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