रस को काव्य की आत्मा माना गया है क्योंकि :
1.काव्य में रस घोलने से वह मीठा हो जाता है |
2.रस काव्य मे आत्मा की तरह रहता है |
3.काव्य में रस से ही आनंद की अनुभूति होती है |
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3-kavya me ras se hi anand ki anubhuti hoti he
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3 number sahi he
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