रस को काव्य की आत्मा माना गया है क्योंकि:-
1.काव्य में रस घोलने से वह मीठा हो जाता है |
2.रस काव्य मे आत्मा की तरह रहता है |
3.काव्य में रस से ही आनंद की अनुभूति होती है |
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रस काव्य की आत्मा है। संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है। रस अन्त:करण की वह शक्ति है, जिसके कारण इन्द्रियाँ अपना कार्य करती हैं, मन कल्पना करता है, स्वप्न की स्मृति रहती है. option 3 is correct .
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