Hindi, asked by Rona88, 2 months ago

रस की परिभाषा लिखिए उसके प्रकार बताइए तथा उसके अंगों का वर्णन कीजिए?​

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Answered by xxxx68
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Answer:

रस की परिभाषा:

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे 'रस' कहा जाता है।रस का सम्बन्ध 'सृ' धातु से माना गया है। जिसका अर्थ है - जो बहता है, अर्थात जो भाव रूप में हृदय में बहता है उसी को रस कहते है।

रस को 'काव्य की आत्मा' या 'प्राण तत्व' माना जाता है।

रस को दो भागों में बांटा गया है :-

  • अंग
  • प्रकार

रस के प्रकार:

किसी भी काव्य को पढ़कर उत्पन्न होने वाले अलग अलग भावों को रस का प्रकार कहा जाता है। रस प्रायः 11 प्रकार के होते हैं।

  • शृंगार रस
  • हास्य रस
  • करूण रस
  • रौद्र रस
  • वीर रस
  • भयानक रस
  • बीभत्स रस
  • अद्भुत रस
  • शान्त रस
  • वत्सल रस
  • भक्ति रस

रस के अंग :-

रस के 4 अंग माने गये हैं , स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव।

  • विभाव
  • अनुभाव
  • संचारी भाव
  • स्थायीभाव

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