Hindi, asked by somdattsonu430, 1 month ago

रस की परिभाषा लिखते हुए रस के अंगों का विभाजन दर्शाइए​

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Answered by RvChaudharY50
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प्रश्न :- रस की परिभाषा लिखते हुए रस के अंगों का विभाजन दर्शाइए ?

उतर :-

रस की परिभाषा :- काव्य पढ़ने या नाटक देखने से हमें जो विशेष प्रकार का आनंद प्राप्त होता है उसे रस कहा जाता है । काव्य की अनुभूति और आनंद व्यक्तिगत सकीर्णता से मुक्त होता है ।

रस के अंग निम्न है :-

1) स्थायी भाव :- रस सिद्धांत में ‘स्थायी भाव’ का मतलब ‘प्रधान’ भाव है । प्रधान भाव वही कहा जा सकता है जो रस की अवस्था तक पहुँचे । इनकी संख्या 11 है l

2) विभाव :- जिसके कारण सहृदय को रस प्राप्त होता है, वह विभाव कहलाता है। विभाव से अभिप्राय उन वस्तुओं और विषयों के वर्णन से है जिनके प्रति किसी प्रकार का भाव या संवेदना होती है l

  • विभाव दो प्रकार के होते हैं- आलंबन और उद्दीपन ।

3) अनुभाव :- स्थायी भाव के उत्पन्न होने पर उसके बाद जो भाव उत्पन्न होते हैं उन्हें अनुभाव कहा जाता है । आलंबन और उद्दीपन विभावों के कारण उत्पन्न भावों को बाहर प्रकाशित करने वाले कार्य ‘अनुभाव’ कहलाते हैं । जैसे :- भय उत्पन्न होने पर हक्का-बक्का हो जाना, रोंगटे खड़े होना, काँपना, पसीने से तर हो जाना आदि ।

  • अनुभाव के चार भेद हैं :- कायिक, मानसिक, वाचिक और आहार्य ।

4) संचारी भाव :- मन के चंचल विकारों को संचारी भाव कहते हैं । संचारी भावों को व्यभिचारी भाव भी कहा जाता है ।

  • संचारी भावों की संख्या 33 है l

यह भी देखें :-

ऐसे वर्ण जो मुर्दा का आधार पर भरे जाते हैं

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Answered by bhatiamona
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रस की परिभाषा लिखते हुए रस के अंगों का विभाजन दर्शाइए​

रस की परिभाषा : जिस काव्य को पढ़ने और सुनने से जिस आनन्द इ अनुभूति प्राप्त होती है , उसे रस कहते है | रस छंद और अलंकार- काव्य रचना के आवश्यक अंग है |

रस के चार अंग होते है :

विभाव  : विभाव भाव में जिससे स्थाई भाव जागृत होते है | स्थाई भाव के उद्द्बोधक कारण को विभाव कहते है |

अनुभाव : मनोगत भाव को व्यक्त करने वाले शरीर विकार अनुभव कहते है | अनुभावों की संख्या 8 होती है |

संचारी भाव  :  मन में संचरण करने वाले भावों की संचारी भाव कहते है |

स्थाई भाव : ई भाव का अर्थ है , प्रधान भाव ही स्थाई भाव ही रस का आधार है , एक रस के मूल में स्थाई भाव छुपा रहता है | सती भाव की संख्या 8 मानी गई है |

रस के  उदाहरण

  • शांत रस
  • करुण रस  
  • वीर रस  
  • श्रंगार रस
  • वात्सल्य रस
  • हास्य रस
  • रौद्र रस
  • भक्ति रस
  • वीभत्स रस
  • अद्भुत रस
  • भयानक रस
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