रस की परिभाषा स्थाई भाव सहित प्रकारों के नाम लिखिये।
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रस की परिभाषा रस : रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। ... श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है। रस से जिस भाव की अनुभूति होती है वह रस का स्थायी भाव होता है।
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जिसका अर्थ है संपन्न होना या विद्यमान होना। अतः जो भाव मन में सदा अभिज्ञान ज्ञात रूप में विद्यमान रहता है उसे स्थाई या स्थिर भाव कहते हैं। जब स्थाई भाव का संयोग विभाव , अनुभाव और संचारी भावों से होता है तो वह रस रूप में व्यक्त हो जाते हैं। रति , हास्य , शोक , क्रोध , उत्साह , भय , जुगुप्सा और विस्मय।
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