रस की परिभाषा देते हुए उनके अंगों का नाम लिखिए
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श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है। रस से जिस भाव की अनुभूति होती है वह रस का स्थायी भाव होता है। रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अवयव हैं।
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परिभाषा-कविता-कहानी को पढने, सुनने और नाटक को देखने से पाठक, श्रोता और दर्शक को जो आनंद प्राप्त होता है, उसे रस कहते हैं।
रस के अंग-रस के चार अंग माने गए हैं –
1️⃣स्थायीभाव
2️⃣विभाव
3️⃣अनुभाव
4️⃣संचारीभाव
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