रस किसे कहते हैं। रस के प्रकार
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जैसे आत्मा के बिना शरीर का कोई मूल्य नही उसी प्रकार रस के बिना काव्य भी निर्जीव माना जाता हैं। आज हम रस किसे कहते हैं? परिभाषा भेद प्रकार अंग स्थायी भाव। दसों रसों श्रृंगार रस, हास्य रस, करूण रस, रौद्र रस, वीभत्स रस, भयानक रस, अद्धभुत रस, वीर रस, शान्त रस, और वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित जानेगें।
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दसों रस एवं उनके स्थायी भाव
1. श्रृंगार रस का स्थायी भाव = रति
2. हास्य रस का स्थायी भाव = हास
3. करूण रस का स्थायी भाव = शोक
4. रौद्र रस का स्थायी भाव = क्रोध
5. वीभत्स रस का स्थायी भाव = जुगुप्सा
6. भयानक रस का स्थायी भाव = भय
7. अद्धभुत रस का स्थायी भाव = विस्मय
8. वीर रस का स्थायी भाव = उत्साह
9. शान्त रस का स्थायी भाव = निर्वेद
10. वात्सल्य रस का स्थायी भाव = वत्सल
Answer:
काव्य मे रस का अर्थ आनन्द स्वीकार
किया गया है। साहित्य शास्त्र मे रस का अर्थ अलौकिक या लोकोत्तर आनन्द होता हैं।
दूसरे शब्दों में जिसका आस्वादन किया जाये वही रस है। रस का अर्थ आनन्द है अर्थात् काव्य को पढ़ने सुनने या देखने से मिलने वाला आनन्द ही रस है। रस की निष्पत्ति विभाव, अनुभाव, संचारी भाव के संयोग से होती है।