रस किसे कहते हैं तथा इसके प्रकारों को उदाहरण सहित समझाइए
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रस - स्थाई भाव जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों से परिपक्व होकर सहृदय के हृदय को तरंगित करते हैं उसे रस कहते हैं |
रस के नौ प्रकार हैं :
1. श्रृंगार रस : नायक और नायिका के सौंदर्य वर्णन की परिपक्व अवस्था को श्रृंगार रस कहते हैं |
उदाहरण : देखहु तात बसंत सुहावा |
प्रिया हीन मोहि उर उपजावा ||
2. करूण रस : अपने प्रिय या मन चाही वस्तु नष्ट होने या नुकसान पहुंचाने पर मन में संवेदना उत्पन्न होना करूण रस हैं |
उदाहरण : मेरे हृदय के हर्ष हा!
अभिमन्यु अन तू है कहा |
3. वीर रस : उत्साह की परिपक्व अवस्था को वीर रस कहते हैं|
उदाहरण : वीर तुम बढे चलो , धीर तुम बढे चलो
सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो ||
4. रौद्र रस : क्रोध की परिपक्व अवस्था को रौद्र रस कहते हैं |
उदाहरण : अति रस बोले वचन कठोर |
बेगि देखाऊ मूढ न आजू |
उलटऊं महि जहं लग तवराजू ||
5. वीभत्स रस: धृणा उत्पन्न करने वाली परिस्थिति या व्यक्ति को देखने से वीभत्स रस की उत्पत्ति होती है |
उदाहरण : आंखों निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़कर आ
जाते |
शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला - चुभला कर
खाते |
6. भयानक रस : किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न भय की परिपक्व अवस्था को भयानक रस कहते हैं|
उदाहरण : बालधी बिसाल, विकराल, ज्वाल-जाल मानौ,
लंक लीलिबे को काल रसना पसारी है |
7. हास्य रस: विकृत आकार, वाणी, वेश, चेष्टा आदि के वर्णन से उत्पन्न हास्य की परिपक्व अवस्था को हास्य रस कहते हैं|
उदाहरण : एक मित्र बोले, "लाला तुम किस चक्की के
खाते हो?
इतने मंहगे राशन में भी, तुम तोंद बढाए जाते
हो |
8. अद्भुत रस : आश्चर्यजनक वर्णन से उत्पन्न विस्मय की परिपक्व अवस्था को अद्भुत रस कहते हैं |
उदाहरण : देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की
माया |
क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी
कोमल काया |
9. शांत रस : सांसारिक सुख - सुविधाओं के प्रति विरक्ति भाव तथा सात्विकता का वर्णन शांत रस है |
उदाहरण : देखी मैंने आज जरा |
हो जावेगी क्या ऐसी मेरी ही यशोधरा
हाय! मिलेगी मिट्टी में वह वर्ण - सुवर्ण खरा|
सूख जाएगा मेरा उपवन जो है आज हरा ||