Hindi, asked by maneeshchouhan103, 2 months ago

रस कितने प्रकार के होते हैं​

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Answered by Anonymous
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1917 की रूसी क्रांति बीसवीं सदी के विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रही। 1789 ई. में फ्रांस की राज्यक्रांति ने स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व की भावना का प्रचार कर यूरोप के जनजीवन को गहरे स्तर पर प्रभावित किया। रूसी क्रांति की व्यापकता अब तक की सभी राजनीतिक घटनाओं की तुलना में बहुत विस्तृत थी। इसने केवल निरंकुश, एकतंत्री, स्वेच्छाचारी, ज़ारशाही शासन का ही अंत नहीं किया बल्कि कुलीन जमींदारों, सामंतों, पूंजीपतियों आदि की आर्थिक और सामाजिक सत्ता को समाप्त करते हुए विश्व में मजदूर और किसानों की प्रथम सत्ता स्थापित की। मार्क्स द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक समाजवाद की विचारधारा को मूर्त रूप पहली बार रूसी क्रांति ने प्रदान किया। इस क्रांति ने समाजवादी व्यवस्था को स्थापित कर स्वयं को इस व्यवस्था के जनक के रूप में स्थापित किया। यह विचारधारा 1917 के पश्चात इतनी शक्तिशाली हो गई कि 1950 तक लगभग आधा विश्व इसके अंतर्गत आ चुका था।

Answered by tanubera25
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रस किसे कहते हैं इसकी परिभाषा

रस को काव्य की आत्मा कहा जाता है इसका तात्पर्य काव्य के मूल तत्व या उसके प्राण से है, जिसके बिना अर्थात रस के बिना काव्य मात्र पद्य बनकर रह जाता है। रस किसी भी उत्तम काव्य का अनिवार्य गुण है।

रस का अर्थ -

निचोड़ (सार)। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य या कविता का रस है। काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक या सांसारिक न होकर अलौकिक सँसार से परे होता है। रस काव्य की आत्मा है।

रास के चार अंग होते है जो निम्नलिखित है -

1.विभाव

2 अनुभाव

3.संचारी भाव

4.स्थायीभाव

1. विभाव का अर्थ क्या है -

जब कोई व्यक्ति अन्य व्यक्ति के ह्रदय के भावों को जगाता हैं उन्हें विभाव कहते हैं। इनके कारण से रस प्रकट होता है यह कारण निमित्त कहलाते हैं। विशेष रूप से भावों को प्रकट करने वालों को विभाव रस कहते हैं। इन्हें कारण रूप भी कहते हैं।

2. अनुभव का शाब्दिक अर्थ है -

वाणी और अंगों के अभिनय द्वारा जिनसे किसी अर्थ प्रकट होता है उन्हें अनुभाव कहते हैं। अनुभवों की कोई संख्या निश्चित नहीं होती है। जो आठ अनुभाव सरल और सात्विक के रूप में आते हैं उन्हें सात्विक भाव कहते हैं। ये अनायास सहज रूप से प्रकट होते हैं।

इनकी संख्या आठ होती है।

1.स्तंभ

2.स्वेद

3 .रोमांच

4.स्वर – भंग

5.कम्प

6.विवर्णता

7.अश्रु

8.प्रलय

3.संचारी भाव की परिभाषा -

जो स्थानीय भावों के साथ संचरण करते हैं वे संचारी भाव कहलाते हैं। इससे स्थिति भाव की पुष्टि (सत्यापित) होती है। एक संचारी किसी स्थायी भाव के साथ नहीं रहता है इसलिए इसे व्यभिचारी भाव भी कहते हैं।

संचारी भाव की संख्या कितनी है?

उत्तर - संचारी भाव की संख्या 33 होती है।

4. स्थाई भाव किसे कहते हैं -

किसी मनुष्य के हृदय में कोई भी भाव स्थाई रूप से निवास करती है उसे स्थाई भाव कहते है यह चाद भर के लिए न रहकर स्थाई रूप से रहता है।

रस के कितने प्रकार होते हैं

1.शृंगार रस - रती

2.हास्य रस - हास

3.शान्त रस - निर्वेद

4.करुण रस - शोक

5.रौद्र रस - क्रोध

6.वीर रस - उत्साह

7.अद्भुत रस - आश्चर्य

8.वीभत्स रस - घृणा

9.भयानक रस - भय

10.वात्सल्य रस - स्नेह

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