रस के तत्व टिप्पणी लिखिए
Answers
Answer:
रस क्या होता है। रस की अगर हम कोई शाब्दिक परिभाषा लें, तो रस का शाब्दिक अर्थ कहलाता है ‘आनंद’।
इसके आधार पर रस की परिभाषा यह होगी कि ‘किसी काव्य या गीत या संगीत को गाने, पढ़ने, सुनने या देखने में जिस आनंद की अनुभूति होती है। वह रस कहलाता है। रस किसी काव्य रचना की आत्मा होता है।
रस 9 प्रकार का होता है।
- श्रंगार रस
- हास्य रस
- करुण रस
- वीर रस
- रौद्र रस
- भयानक रस
- वीभत्स रस
- अद्भुत रस
- शांत रस
रस के तत्व पर अगर हम गौर करें तो रस के चार तत्व होते हैं...
(1) विभाव — जो व्यक्ति किसी पदार्थ के बाह्य विकार को किसी किसी दूसरे में भावोद्रेक करता है, उसे तत्व को विभाव कहते हैं
(2) अनुभाव — आलंबन और उद्दीपन भावों के कारण बने भाव को बाहर निकालने वाले कार्य को अनुभाव कहते हैं।
(3) व्यभिचारी या संचारी भाव — व्यभिचारी या संचारी भाव स्थाई भाव का सहायक होता है। इस भाव के चार का वर्गीकरण किये गये हैं। उन्हीं के आधार पर इस भाव का विवेचन किया जाता है। व्यभिचारी भाव की संख्या लगभग 33 है।
(4) स्थाई भाव — मन का जो विकार हो होता है, वो मन का विकार यह भाव है।
इस प्रकार रस के चार तत्व होते हैं।