रस पहचानो ;' लखन कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना।का छति लाभु जून धनु तोरे। देखा राम नयन के भोरे। ' *
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लखन कहा हँसि हमरें जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना॥
का छति लाभु जून धनु तोरें। देखा राम नयन के भोरें॥
भावार्थ-
लक्ष्मण ने हँसकर कहा - हे देव! सुनिए, हमारे जान में तो सभी धनुष एक-से ही हैं। पुराने धनुष के तोड़ने में क्या हानि-लाभ! राम ने तो इसे नवीन के धोखे से देखा था।
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