Hindi, asked by ganitha1898, 3 months ago

.रस पहचानो ।
माला फेरत जुग भया , गया न मन का फेर ।
कर का मनका डारि कै , मन का मनका फेर


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Answered by bhatiamona
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माला फेरत जुग भया , गया न मन का फेर ।

कर का मनका डारि कै , मन का मनका फेर

प्रश्न में दी गई पंक्ति में शांत रस है |

शांत रस : जब मनुष्य के मन में आनंद का अभाव हो उसे रस कहते हैं और जब मनुष्य का पूरा ध्यान अध्यात्मिक की और लग जाता है और दुनिया से मोह खत्म होने का भाव उत्पन्न हो जाता है उसके मन को शान्ति प्राप्त होती है उसे शांत रस कहते है |  

व्याख्या :

दोहे का अर्थ इस प्रकार है ,  यदि कोई मनुष्य लम्बे समय तक हाथों में मोती की माला को घुमाता है , तो उससे मन का भाव नहीं मिलता , उसके मन में कोई शांति नहीं होती है | कबीर जी कहते है , हाथों से माला फेरना बंद करो , अपने मन की मोतियों को बदलो |

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