रस पहचानीया
एक भरोसे एक बल, एक आस बिस्वास।
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।
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रस पहचानीया
एक भरोसे एक बल, एक आस बिस्वास।
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।।
इन पंक्तियों में 'भक्ति रस' है।
व्याख्या :
इन पंक्तियों में भक्ति रस है, क्योंकि इन पंक्तियों के माध्यम से कवि तुलसीदास अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के प्रति भक्ति भावना प्रकट कर रहे हैं।
भक्ति रस उस काव्य में प्रकट होता है। जहाँ पर अपने ईश्वर या आराध्य देव के प्रति भक्ति भावना प्रकट की जाती है। अपने आराध्य के प्रति प्रेम प्रकट करना ही भक्ति रस है।
भक्ति रस का स्थाई भाव अपने इष्ट के प्रति प्रेम है।
किसी काव्य को पढ़कर जिस तरह के आनंद की अनुभूति होती है, काव्य की भाषा में उसे ही 'रस' कहा जाता है। रस के नौ भेद होते है।
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Answer:
इन पंक्तियों में भक्ति रस हैं।
Explanation:
- तुलसीदास द्वारा रचित इन पंक्तियों में भक्ति रस है।
- यह पंक्तियां इन्होंने अपने ईश्वर श्री राम के लिए लिखे हैं।
- इन पंक्तियों से उनका प्रेम और निष्ठा भावना साफ व्यक्त हो रही हैं।
- एक भरोसे एक बल, एक आस बिस्वास। एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।। अर्थात: इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास प्रभु श्रीराम से यही मांगते हैं कि मेरा भरोसा राम पर ही बना रहे,राम का ही बल रहे,और जिनके स्मरण मात्र से ही शुभ,मंगल कुशलता की प्राप्ति होती हैं,उस राम में ही विश्वास बना रहे।
- अतः यह भक्ति रस से परिपूर्ण है।
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