रस्सी कच्चे रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
जाने सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।
पानी टपके कच्चे सकोरे, प्रयास व्यर्थ हो रहे मेरे।
जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की बात है घरे।।
प्रश्न1. वाख' का क्या अर्थ है? इस पद (वाख) का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
प्रश्न 2. 'कच्चे सकोरे का उदाहरण देकर कवयित्री क्या बताना चाहती है? (2)
प्रश्न 3. कवयित्री की दृष्टि में ईश्वर प्राप्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास क्यों व्यर्थ हो रहे हैं? (1)
प्रश्न 4. प्रस्तुत काव्यांश के अनुसार, 'रस्सी' किस प्रकार की है? (2)
प्रश्न 5. प्रस्तुत काव्यांश के आधार पर बताइए कि कवयित्री के हृदय में घर जाने की चाह क्यों विद्यमान है? (2)
प्रश्न 6. घर से कवयित्री का क्या आशय है? (1)
प्रश्न 7. 'मेरे संग की औरतें' में लेखिका के व्यक्तित्व पर उसके परिवार के किस प्राणी का अधिक प्रभाव पड़ा? (3)
प्रश्न 8. वाख' कविता के माध्यम से कवयित्री को क्या प्रेरणा मनुष्य देना चाहती है? (2)
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Prastut panctiyo me kavitri ne naav ki tulana Aapne jivan se karte huye Kaha h ki ve ise kavichi dori yani sasoo dwara chal rahi h wah is intejar me Aapne gindgi Kar rahi h.ki kabhi prabhu unki pukar sunege aur unhe is givaan se pavar karege .unhone Aapne sharir ki tulna mitti ke dehache se karte huye Kaha ki jase nitya pani tapak raha h unke prabhu milan ke liye milne ki vyakulata badhati ja rahi h .unhe prabhu ki saran me jane ki chahat ghere hui h
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Q.no.1 ans. from Gaurav Rawat
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