रस्सी कच्चे धागे की क्यों कहा गया ??
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पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे॥ इस कविता में रोजमर्रा की साधारण चीजों को उपमा के तौर पर उपयोग करके गूढ़ भक्ति का वर्णन किया गया है। ... लेकिन इसमें भक्ति भावना के कारण कवयित्री ने अपनी रस्सी को कच्चे धागे का बताया है।
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