Hindi, asked by anilagrawal111978, 3 months ago

रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।
पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।
जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।।​

Answers

Answered by Rishukumar123
10

Answer:

Brainly.in

What is your question?

1

akanksha5722

10.06.2019

Hindi

Secondary School

answered

रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।

जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।

पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।

जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।।

plz explain it..

2

SEE ANSWERS

Log in to add comment

Answer

4.2/5

163

PreetiXYZ

Virtuoso

82 answers

5.7K people helped

kavitri khna cha hati hai ki vo apna maanav rupi naav ko katcha daga ki rassi sa kitch rahi hai tadha

vo apna es jivan ma esvar ko pana ke vayardh pryas kar rahi hai

ab unka man ma apna ghar yani prmatma k pass jaana ki chaa baar barr udh rahi hai

HOPE YOU LIKE IT

kaypeeoh72z and 300 more users found this answer helpful

THANKS

163

4.2

(138 votes)

2

PreetiXYZ avatar

plz mark as brainlist my answer is right i am sure

PreetiXYZ avatar

welcome

Log in to add comment

Answer

4.6/5

161

bhatiamona

Genius

9.8K answers

31.9M people helped

Answer:

प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने नाव की तुलना अपनी जिंदगी से करते हुए कहा है , वह अपनी सांसो की तुलना कच्ची डोरी से की है ,की वे इसे कच्ची डोरी यानी साँसों द्वारा चला रही हैं। यह जो सांसे है यह कब बंद हो जाएगी किसी को पता नहीं है | वह उस समय का इंतजार कर रही है , कब प्रभु उसकी पुकार सुन सुनेंगे और ज़िन्दगी से पर करेंगे |

अपने शरीर की तुलना मिट्टी के कच्चे ढांचे से करते हुए कहा की उसे नित्य पानी टपक रहा है यानी प्रत्येक दिन उनकी उम्र काम होती जा रही है। प्रभु से मिलने के सारे प्रयास व्यर्थ होते जा रहे है | मन में प्रभु से मिलने की चाह के लिए व्याकुल होते जा रही है , भक्त इस उम्मीद से ये सब कर रहा है कि कभी तो भगवान उसकी पुकार सुनेंगे और उसे भवसागर से पार लगायेंगे।

Explanation:

Hope it was helpful please mark me brainliest and follow me also

Answered by guptavandana0409
2

Answer:

Explanation:प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने नाव की तुलना अपनी जिंदगी से करते हुए कहा है , वह अपनी सांसो की तुलना कच्ची डोरी से की है ,की वे इसे कच्ची डोरी यानी साँसों द्वारा चला रही हैं। यह जो सांसे है यह कब बंद हो जाएगी किसी को पता नहीं है | वह उस समय का इंतजार कर रही है ,  कब प्रभु उसकी पुकार सुन सुनेंगे और  ज़िन्दगी से पर करेंगे |  

अपने शरीर की तुलना मिट्टी के कच्चे ढांचे से करते हुए कहा की उसे नित्य पानी टपक रहा है यानी प्रत्येक दिन उनकी उम्र काम होती जा रही है। प्रभु से मिलने के सारे प्रयास व्यर्थ होते जा रहे है | मन में प्रभु से मिलने की चाह के लिए व्याकुल होते जा रही  है , भक्त इस उम्मीद से ये सब कर रहा है कि कभी तो भगवान उसकी पुकार सुनेंगे और उसे भवसागर से पार लगायेंगे।

please mark me as brainlist

Similar questions