रसात्मक वाक्यम काव्य परिभाषा है पंडित जगन्नाथ की है
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Answer: विश्वनाथ के अनुसार "वाक्यं रसात्मकं काव्यम्" अर्थात् रसात्मक वाक्य ही काव्य होता है। यहाँ आचार्य विश्वनाथ ने पहली बार शब्दार्थ की जगह वाक्य में काव्यत्व की स्थिति मानी है। उनका कहना है कि केवल सुन्दर शब्दों को एक साथ रख देने से काव्य नहीं हो जाता।
रसात्मक वाक्यम काव्य परिभाषा है, पंडित जगन्नाथ की है?
रसात्मक वाक्यम काव्य' परिभाषा है। यह कथन पंडित जगन्नाथ का नहीं है बल्कि आचार्य विश्वनाथ का है।
'वाक्यम रसात्मक काव्यम' यह कथन आचार्य विश्वनाथ ने प्रतिपादित किया था उनके अनुसार काव्य के लक्षण है। भारतीय काव्यशास्त्र में काव्य की परिभाषा को लक्षण के संदर्भ में बताया गया है। आचार्य ने काव्य के लक्षणों का भेद तीन आधार पर किया है। शब्दार्थ के आधार पर शब्द के आधार पर व्यस्त और ध्वनि के आधार पर शब्दार्थ के आधार पर भेदभाव रूद्र और मम्मट आचार्यों ने किया है। शब्द के आधार पर भेद दंडी और जगन्नाथ जैसे आचार्यों ने किया है और ध्वनि के आधार पर काव्य का भेद आचार्य विश्वनाथ ने किया है ।
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