रसात्मक वाक्यम काव्यम परिभाषा है यह कथन किसका है
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आचार्य विश्वनाथ ने भामह के “शब्दार्थौ सहितौ काव्यम” के स्थान पर “ वाक्यं रसात्मकं काव्यम्” का प्रयोग किया। वाक्य में काव्य शरीर तथा रसात्मक में काव्य की आत्मा समाहित है। रसात्मकता के आधार पर प्रतिपादित काव्य लक्षण की इस परिभाषा के आधार पर हम कह सकते हैं कि काव्यात्मा और काव्यात्मकता दोनों में रस का महत्व है।
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