रसघाना क्या है? समझाइ
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काव्य मे रस का अर्थ आनन्द स्वीकार किया गया है । साहित्य शास्त्र मे रस का अर्थ अलौकिक या लोकोत्तर आनन्द होता हैं । दूसरे शब्दों में जिसका आस्वादन किया जाये वही रस है । रस का अर्थ आनन्द है अर्थात् काव्य को पढ़ने सुनने या देखने से मिलने वाला आनन्द ही रस है । रस की निष्पत्ति विभाव , अनुभाव , संचारी भाव के संयोग से होती है ।
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