रसघाना क्या है ? समझाइये।रस गाना क्या है
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● रस गाना क्या है? समझाइये।
► कोई भी काव्य या गीत जिस भाव से गाया जाए और जिस भाव से एक अविचर्नीय आनंद की प्राप्ति हो, मन में अनोखे भावों का संचार हो तथा जो आनंद प्राप्ति हो, उस आनंद की अनुभूति कराने वाली कला को ‘रस गाना’ कहा जाता है, अर्थात काव्य को लयात्मक सुर में गाकर सुनने वाले या पढ़ने वाले के मन में भावों की उत्पत्ति करना ही ‘रस गान’ कहलाता है।
हर काव्य में एक रस होता है, जो उस काव्य की प्रकृति को निर्धारित करता है। हिंदी साहित्य में दस रस माने गए हैं, जिनके नाम है...
- श्रंगार रस
- करुण रस
- हास्य रस
- अद्भुत रस
- वीभत्स रस
- भयानक रस
- शांत रस
- रौद्र रस
- वीर रस
- वात्सल्य रस
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रस गाना क्या है ? समझाइये।
उत्तर :
काव्य मे रस का अर्थ आनन्द स्वीकार किया गया है। साहित्य शास्त्र मे रस का अर्थ अलौकिक या लोकोत्तर आनन्द होता हैं।
दूसरे शब्दों में जिसका आस्वादन किया जाये वही रस है। रस का अर्थ आनन्द है अर्थात् काव्य को पढ़ने सुनने या देखने से मिलने वाला आनन्द ही रस है। रस की निष्पत्ति विभाव, अनुभाव, संचारी भाव के संयोग से होती है।