Hindi, asked by meravibhagawanti, 6 hours ago

रसखान की कोई दो कविता चाहिए हिंदी में​

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Answered by peeyushidhamma
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Answered by anikush0620
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ब्रजभाषा में रसखान के कवित्त, सवैये और छंद में कृष्ण का सटीक वर्णन किया गया है। कृष्ण की सुंदरता, पौरूष और उनके जीवन चरित पर रसखान की कलम अनोखा पुट लिए हुए है। ब्रज साहित्य को प्रचुर करने में रसखान का योगदान अहम है।

Explanation:

1. सवैया

मोर के चंदन मौर बन्यौ दिन दूलह है अली नंद को नंदन।

श्री वृषभानुसुता दुलही दिन जोरि बनी बिधना सुखकंदन।

आवै कह्यौ न कछू रसखानि हो दोऊ बंधे छबि प्रेम के फंदन।

जाहि बिलोकें सबै सुख पावत ये ब्रजजीवन है दुखदंदन।।

मोहिनी मोहन सों रसखानि अचानक भेंट भई बन माहीं।

जेठ की घाम भई सुखघाम आनंद हौ अंग ही अंग समाहीं।

जीवन को फल पायौ भटू रस-बातन केलि सों तोरत नाहीं।

कान्ह को हाथ कंधा पर है मुख ऊपर मोर किरीट की छाहीं।।

लाड़ली लाल लसैं लखि वै अलि कुंजनि पुंजनि मैं छबि गाढ़ी।

उजरी ज्यों बिजुरी सी जुरी चहुं गुजरी केलि-कला सम बाढ़ी।

त्यौ रसखानि न जानि परै सुखिया तिहुं लौकन की अति बाढ़ी।

बालक लाल लिए बिहर छहरैं बर मोरमुखी सिर ठाड़ी।।

2.

मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।

जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥

पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।

जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।

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