रसखान के काव्य की दो विशेषताएं लिखिए
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रसखान की रचनाएँ
खेलत फाग सुहाग भरी -रसखान
संकर से सुर जाहिं जपैं -रसखान
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं -रसखान
आवत है वन ते मनमोहन -रसखान
जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन -रसखान
कान्ह भये बस बाँसुरी के -रसखान
सोहत है चँदवा सिर मोर को -रसखान
प्रान वही जु रहैं रिझि वापर -रसखान
फागुन लाग्यौ सखि जब तें -रसखान
गावैं गुनी गनिका गन्धर्व -रसखान
नैन लख्यो जब कुंजन तैं -रसखान
या लकुटी अरु कामरिया -रसखान
मोरपखा मुरली बनमाल -रसखान
कानन दै अँगुरी रहिहौं -रसखान
गोरी बाल थोरी वैस, लाल पै गुलाल मूठि -रसखान
कर कानन कुंडल मोरपखा -रसखान
सेस गनेस महेस दिनेस -रसखान
मानुस हौं तो वही -रसखान
बैन वही उनकौ गुन गाइ -रसखान
धूरि भरे अति सोहत स्याम जू -रसखान
मोहन हो-हो, हो-हो होरी -रसखान
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