रसखान नंद बाबा की गाय चराने के लिए क्यों सारे सुख को त्याग देने की इच्छा रखते हैं
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गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।
गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।
गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।
गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।
गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।
गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।
गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।
गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।।
गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।।तौ सिवधनु मृनाल की नाईं।
गुरु पद बंदि सहित अनुरागा ।राम मुनिन्ह सन आयसु माँगा ।।सहजहिं चले सकल जग स्वामी ।मत्त मंजु बर कुंजर गामी ।।चलत राम सब पुर नर नारी ।पुलक पूरि तन भए सुखारी ।।बंदि पितर सुर सुकृत सँभारे ।जौं कछु पुन्य प्रभाउ हमारे ।।तौ सिवधनु मृनाल की नाईं।तोरर राम गनेस गोसाई ।
(B) अभ्यास का महत्त्व बताने के लिए
(C) निरंतर कार्य करने की आवश्यकता बताने के लिए
(D) मूर्ख की विशेषता समझाने के लिए
(ii) 'आज़ादी' कविता में शागिर्द द्वारा पूछना कि 'सूरज में घोंसला बनाने को उड़ी जाती चिड़िया'
का आशय है