Rashtra Court Vansh ka संक्षिप्त परिचय दीजिए
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राष्ट्रकूट वंश (753-973 ई०): प्राप्त अभिलेख के अनुसार राष्ट्रकूट वंश का मूल निवास स्थान लाटूर जिले का बीदर माना गया है। किन्तु बाद में एलिचपुर (वर्तमान बरार) में इस वंश की स्थापना हुयीं। राष्ट्रकूट वंश का अपना स्वतंत्र शासन स्थापित करने से पूर्व राष्ट्रकूट बादामी के चालुक्यों के सामंत थे।खोट्टिम अमोघवर्ष चतुर्थ (968-972) अपनी राजधानी की रक्षा में विफल रहे और उनके पाटन ने इस वंश पर से लोगों का विश्वास उठा दिया। सम्राट भागकर पश्चिमी घाटों में चले गए, जहां उनका वंश साहसी गंग और कदंब वंशों के सहयोग से तब तक गुमनाम जीवन व्यतीत करता रहा, जबतक तैलप प्रथम चालुक्य ने लगभग 975 में सत्ता संघर्ष में विजय नहीं प्राप्त कर ली।
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