Rashtra ka Swaroop summary
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इस पाठ "राष्ट्र का स्वरूप" में लेखक ने तत्वों के आधार पर राष्ट्र के स्वरूप की व्याख्या करने का प्रयास किया है। भूमि के प्रति मात्तरभव श्रद्धा जन को आदर्श नागरिक बनाती है वही संस्कृति तत्व उसमें उच्च मूल्यों की प्रतिष्ठा कर उसकी भावात्मक एकता की दृढ़ता को दर्शाता है। यह पाठ एक गौरवशाली राष्ट्रभाव को जन-जन में प्रसारित करने का स्तुत प्रयास है। इस पाठ में लेखक कहता है कि भूमि पर बसने वाला जन और जन की संस्कृति इन तीनों के सम्मेलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। भूमि का निर्माण देवो ने किया है, वह अनंत काल से है। उसके भौतिक रूप, सौन्दर्य के प्रति सूचेत हमारा प्रथम कर्तव्य है। भूमि के स्वरूप प्रति हम जितने अधिक जागृत होंगे उतनी ही मेरी राष्ट्रीयता बलवती हो पाएगी। इसीलिए पृथ्वी के भौतिक स्वरूप की जानकारी प्राप्त करना, उसकी सुंदरता और उपयोगिता को पहचानना हमारा अवश्यक धर्म है।