Rashtra Nirman ke vidyarthiyon ka yogdan (Sanket Bindu rashtrawadi ka Kartavya Vidyarthi ka Karya Desh Hetu Kuchh karne ka Sankalp rashtrahit) write anuched
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राष्ट्र निर्माण के विधार्थियों का योगदान :
देश का भविष्य विधार्थियों पर निर्भर है | राष्ट्र के प्रति उसके जो कर्तव्य है उसका पालन करना उसका कर्तव्य है |
विद्या ग्रहण करना ही विद्या का धर्म और कर्तव्य नहीं है , अपितु इस विद्या को समाज पर राष्ट्र के लिए उपयोग करना और देश की उन्नति के लिए अपना सहयोग देना , यही असली योगदान है|
विद्यार्थी अपने योगदान के द्वारा राष्ट्र को उन्नत और समृद्ध बना सकते हैं। राष्ट्र के प्रति विद्यार्थी तभी योगदान कर सकता है, जब वह अपनी निष्ठा और सत्या चरण को श्रेष्ठ और महान बनाकर इस कार्य क्षेत्र में उतरता है। विद्यार्थी को खुद ईमानदारी के रास्ते पर चलना होगा|
विद्यार्थी का कर्तव्य है की वह देश को ऊँचाइयों तक लेकर जाए और देश से गरीबी और भ्रष्टाचार को मिटाए | देश के सभी लोगों को एक साथ लेकर चले और सबको उनके अधिकार दिलाए | विद्यार्थी का प्रथम होता है वह अच्छे से शिक्षा ग्रहण करें और अपने लक्ष्य को चुने और भविष्य में उसे पूरा करें |
विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए और अपने माता-पिता सब का आदर करना चाहिए | अनुशासन मनुष्य की सफलता का अधिकांश भाग उसकी अनुशासित गतिविधियों पर निर्भर करता है। अनुशासन बहुत जरूरी है | अगर हम हर एक काम अनुशासन से करेंगे तो जीवन में अपने लक्ष्य को पूरा कर सकेंगे |
राष्ट्र का निर्माण विद्यार्थी पीढ़ी पर निर्भर करती है | युवा पीढ़ी और देश का भविष्य एक दूसरे पर निर्भर करता है| किसी भी देश में अगर युवाओं की संख्या ज्यादा है तो उस देश का विकास भी तेजी से होता है क्योंकि युवा पीढ़ी ही देश का विकास कर सकती हैं| युवा नई सोच और सकारात्मक सोच के साथ देश की प्रगति में अपना योगदान कर सकते है | युवा पीढ़ी को राष्ट्र के उन्नयन में महत्वपूर्ण माना है।