Hindi, asked by pkbeliya1997, 1 month ago

Rashtrawadi vichardhara parichay dete hue pramukh rashtrawadi kaviyon ka parichay dijiye

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Answered by xXmonaXx99
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Answer:

राष्ट्रवाद (nationalism) लोगों के किसी समूह की उस आस्था का नाम है जिसके तहत वे ख़ुद को साझा इतिहास, परम्परा, भाषा, जातीयता या जातिवाद और संस्कृति के आधार पर एकजुट मानते हैं। इन्हीं बन्धनों के कारण वे इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि उन्हें आत्म-निर्णय के आधार पर अपने सम्प्रभु राजनीतिक समुदाय अर्थात् ‘राष्ट्र’ की स्थापना करने का अधिकार है। हालाँकि दुनिया में ऐसा कोई राष्ट्र नहीं है जो इन कसौटियों पर पूरी तरह से फिट बैठता हो, इसके बावजूद अगर विश्व की एटलस(मानचित्र) उठा कर देखी जाए तो धरती की एक-एक इंच ज़मीन राष्ट्रों की सीमाओं के बीच बँटी हुई मिलेगी। राष्ट्रवाद के आधार पर बना राष्ट्र उस समय तक कल्पनाओं में ही रहता है जब तक उसे एक राष्ट्र-राज्य का रूप नहीं दे दिया जाता।

Answered by nihanthyepuri9
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विवरण भारत की आज़ादी के लिए सबसे लम्बे समय तक चलने वाला एक प्रमुख राष्ट्रीय आन्दोलन था।

शुरुआत 1885 ई. में कांग्रेस की स्थापना के साथ ही इस आंदोलन की शुरुआत हुई, जो कुछ उतार-चढ़ावों के साथ 15 अगस्त, 1947 ई. तक अनवरत रूप से जारी रहा।

प्रमुख संगठन एवं पार्टी गरम दल, नरम दल, गदर पार्टी, आज़ाद हिंद फ़ौज, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, इंडियन होमरूल लीग, मुस्लिम लीग

अन्य प्रमुख आंदोलन असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, स्वदेशी आन्दोलन, नमक सत्याग्रह

परिणाम भारत स्वतंत्र राष्ट्र घोषित हुआ।

संबंधित लेख गाँधी युग, रॉलेट एक्ट, थियोसॉफिकल सोसायटी, वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, इण्डियन कौंसिल एक्ट, हार्टोग समिति, हन्टर समिति, बटलर समिति रिपोर्ट, नेहरू समिति, गोलमेज़ सम्मेलन

अन्य जानकारी भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

प्रथम चरण

द्वितीय चरण

तृतीय चरण।

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन 'भारतीय इतिहास' में लम्बे समय तक चलने वाला एक प्रमुख राष्ट्रीय आन्दोलन था। इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत 1885 ई. में कांग्रेस की स्थापना के साथ हुई थी, जो कुछ उतार-चढ़ावों के साथ 15 अगस्त, 1947 ई. तक अनवरत रूप से जारी रहा। वर्ष 1857 से भारतीय राष्ट्रवाद के उदय का प्रारम्भ माना जाता है। राष्ट्रीय साहित्य और देश के आर्थिक शोषण ने भी राष्ट्रवाद को जगाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

प्रथम चरण (1885-1905 ई. तक)

मुख्य लेख : भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन (प्रथम चरण)

इस काल में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की स्थापना हुई, किंतु इस समय तक इसका लक्ष्य पूरी तरह से अस्पष्ट था। उस समय इस आन्दोलन का प्रतिनिधित्व अल्प शिक्षित, बुद्धिजीवी मध्यम वर्गीय लोग कर रहे थे। यह वर्ग पश्चिम की उदारवादी एवं अतिवादी विचारधारा से प्रभावित था।

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