Environmental Sciences, asked by renugoswami929, 11 months ago

rashtriy Paryavaran Vidhi Vidhan ke parvaton se ubhare mundaon ka varnan kijiye ​

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Answered by Sunillende12
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Explanation:

भारत में पर्यावरण संरक्षण का इतिहास बहुत पुराना है। हडप्पा संस्कृति पर्यावरण से ओत-प्रोत थी, तो वैदिक संस्कृति पर्यावरण-संरक्षण हेतु पर्याय बनी रही। भारतीय मनीषियों ने समूची प्रकृति ही क्या, सभी प्राकृतिक शक्तियों को देवता स्वरूप माना। ऊर्जा के स्त्रोत सूर्य को देवता माना तथा उसको ‘सूर्य देवो भव’ कहकर पुकारा। भारतीय संस्कृति में जल को भी देवता माना गया है। सरिताओं को जीवन दायिनी कहा गया है, इसीलिए प्राचीन संस्कृतियां सरिताओं के किनारे उपजीं और पनपी। भारतीय संस्कृति में केला, पीपल, तुलसी, बरगद, आम आदि पेड पौधों की पूजा की जाती रही है। मध्यकालीन एवं मुगलकालीन भारत में भी पर्यावरण प्रेम बना रहा। अंग्रेजों ने भारत में अपने आर्थिक लाभ के कारण पर्यावरण को नष्ट करने का कार्य प्रारंभ किया। विनाशकारी दोहन नीति के कारण पारिस्थितिकीय असंतुलन भारतीय पर्यावरण में ब्रिटिश काल में ही दिखने लगा था। स्वतंत्र भारत के लोगों में पश्चिमी प्रभाव, औद्योगीकरण तथा जनसंख्या विस्फोट के परिणामस्वरूप तृष्णा जाग गई जिसने देश में विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को जन्म दिया।

स्वतंत्र भारत में पर्यावरण नीतियां तथा कानून

भारतीय संविधान जिसे 1950 में लागू किया गया था परन्तु सीधे तौर पर पर्यावरण संरक्षण के प्रावधानों से नहीं जुड़ा था। सन् 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन ने भारत सरकार का ध्यान पर्यावरण संरक्षण की ओर खिंचा। सरकार ने 1976 में संविधान में संशोधन कर दो महत्त्वपूर्ण अनुच्छेद 48 ए तथा 51 ए (जी) जोड़ें। अनुच्छेद 48 ए राज्य सरकार को निर्देश देता है कि वह ‘पर्यावरण की सुरक्षा और उसमें सुधार सुनिश्चित करे, तथा देश के वनों तथा वन्यजीवन की रक्षा करे’। अनुच्छेद 51 ए (जी) नागरिकों को कर्तव्य प्रदान करता है कि वे ‘प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे तथा उसका संवर्धन करे और सभी जीवधारियों के प्रति दयालु रहे’। स्वतंत्रता के पश्चात बढते औद्योगिकरण, शहरीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण की गुणवत्ता में निरंतर कमी आती गई। पर्यावरण की गुणवत्ता की इस कमी में प्रभावी नियंत्रण व प्रदूषण के परिप्रेक्ष्य में सरकार ने समय-समय पर अनेक कानून व नियम बनाए। इनमें से अधिकांश का मुख्य आधार प्रदूषण नियंत्रण व निवारण था।

पर्यावरणीय कानून व नियम निम्नलिखित हैं:

जलु प्रदूषण संबंधी-कानून

रीवर बोडर्स एक्ट, 1956

जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण ) अधिनियम, 1974

जल उपकर (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण ) अधिनियम, 1977

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986

वायु प्रदूषण संबंधी कानून

फैक्ट्रीज एक्ट, 1948

इनफ्लेमेबल्स सबस्टा<सेज एक्ट, 1952

वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण ) अधिनियम, 1981

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986

भूमि प्रदूषण संबंधी कानून

फैक्ट्रीज एक्ट, 1948

इण्डस्ट्रीज (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) अधिनियम, 1951

इनसेक्टीसाइडस एक्ट, 1968

अर्बन लैण्ड (सीलिंग एण्ड रेगयुलेशन) एक्ट, 1976

वन तथा वन्यजीव संबंधी कानून

फोरेस्टस कंजरवेशन एक्ट, 1960

वाइल्ड लाईफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972

फोरेस्ट (कनजरवेशन) एक्ट, 1980

वाइल्ड लाईफ (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1995

जैव-विविधता अधिनियम, 2002

भारत में पर्यावरण संबंधित उपरोक्त कानूनों का निर्माण उस समय किया ,गया था जब पर्यावरण प्रदूषण देश में इतना व्यापक नहीं था। अत: इनमें से अधिकांश कानून अपनी उपयोगिता खो चुके हैं। परन्तु अभी भी कुछ काननू व नियम पर्यावरण संरक्षण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं जिनका विस्तारपूर्वक वर्णन निम्नलिखित हैं।

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Answered by gunjanshakya9058
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