Rastra ke vikas me hindi ka mahatva
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किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके भाषा और उसके संस्कृति से होती है और पूरे विश्व में हर देश की एक अपनी भाषा और अपनी एक संस्कृति है जिसे छाव में उस देश के लोग पले बड़े होते है यदि कोई देश अपनी मूल भाषा को छोड़कर दुसरे देश की भाषा पर आश्रित होता है उसे सांस्कृतिक रूप से गुलाम माना जाता है क्यूकी जिस भाषा को लोग अपने पैदा होने से लेकर अपने जीवन भर बोलते है लेकिन आधिकारिक रूप से दुसरे भाषा पर निर्भर रहना पड़े तो कही न कही उस देश के विकास में उस देश की अपनाई गयी भाषा ही सबसे बड़ी बाधक बनती है क्यूकी आप कल्पना कर सकते है जिस भाषा अपने बचपन से बोलते है और उसी भाषा में अपने सारे कार्य करने पढ़े तो आपको आगे बढने में ज्यादा परेशानी नही होगी लेकिन यदि आप जो बोलते है उसे छोड़कर कोई दूसरी भाषा में आपको कार्य करना पड़े तो कही न कही यही दूसरी भाषा हमारे विकास में बाधक जरुर बनती है
यानी हमे दुसरो की भाषा सीखने का मौका मिले तो यह अच्छी बात है लेकिन दुसरो की भाषा के चलते अपनी मातृभाषा को छोड़ना पड़े तो कही न कही दिक्कत का सामना जरुर करना पड़ता है तो ऐसे में आज हम बात करते है अपने देश भारत के राजभाषा हिंदी के बारे में जो हमारी मातृभाषा भी है और हमे इसे बोलने में फक्र महसूस करना चाहिए