"रत्नावली का चरित्रं आदर्श भारतीय नारी का प्रतिबिम्ब है।" पाठ में आए घटनाक्रम के आधार पर स्पष्ट कीजिए। अथवा
अजंता, ऐलोरा व ऐलीफेण्टा की गुफाओं के सौन्दर्य का वर्णन पाठ के आधार पर कीजिए।
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रत्नावली एक विदुषी कन्या थी, जिनका जन्म सम्वत्- 1577 विक्रमी में जनपद- कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र अन्तर्वेदी भागीरथी गंगा के पश्चिमी तटस्थ बदरिया (बदरिका) नामक गाँव में हुआ था। विदुषी रत्नावली के पिता का नाम पं॰ दीनबंधु पाठक एवं माता दयावती थीं। विदुषी रत्नावली का पाणिग्रहण सम्वत्- 1589 विक्रमी में सोरों शूकरक्षेत्र निवासी पं॰ आत्माराम शुक्ल के पुत्र पं॰ तुलसीदास जी के साथ हुआ। सम्वत्- 1604 विक्रमी में जब रत्नावली मात्र 27 वर्ष की ही थी, तब तुलसीदास जी इनसे विरक्त होकर सोरों शूकरक्षेत्र त्यागकर चले गए। अंत में पूज्य पति परमेश्वर का स्मरण करती हुई सती साध्वी रत्नावली सम्वत्- 1651 विक्रमी में अपनी अलौकिक कान्ति चमकाती हुई सत्यलोक सिधार गईं।
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