१ारद पूर्णिमा की रात पर अनुच्छेद
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Explanation:
आश्विन माह में आने वाली शरद पूर्णिमा हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है। शारदीय नवरात्रि पर्व के बाद की पूर्णिमा को ही 'शरद पूर्णिमा' कहा जाता है।
दूध का सेवन : मान्यता है कि आश्विन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है। इस दिन आकाश में चंद्रमा हल्के नीले रंग का दिखाई देता है। कहते हैं कि इस दिन रात में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखकर सुबह उसका सेवन करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं।
लक्ष्मी पूजन : ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजन किया जाता है। शरद पूर्णिमा को कोजागौरी लोक्खी (देवी लक्ष्मी) की पूजा की जाती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा की स्तुति के बाद अगले वर्ष आर्थिक सुदृढ़ता की कामना के लिए शरद पूर्णिमा के दिन सायंकाल मां लक्ष्मी की पूजा होती है। मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाला कारीगर ही लक्ष्मी की प्रतिमा बनाते हैं। पुरानी लक्ष्मी प्रतिमा का विसर्जन करके नई प्रतिमा को अगले वर्ष तक संभालकर रखा जाता है। मां लक्ष्मी को पांच तरह के फल व सब्जियों के साथ नारियल भी अर्पित किया जाता है। मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना होती है।