Science, asked by dineshtanwar9300, 6 months ago

रदरफोर्ड के प्रयोग के वास्तविक परिणाम
अपेक्षित परिणामों से कैसे भिन्न थे?​

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Answered by Anonymous
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Answer:

1909 तक परमाणु की संरचना को एक नन्ही अर्ध-पारगम्य गेंद के जैसे माना जाता था जिसके आसपास नन्हा सा विद्युत आवेश होता है। यह सिद्धांत उस समय के अधिकतर प्रयोगों तथा भौतिक विश्व के अनुसार सही पाया गया था।

लेकिन भौतिक शास्त्र मे यह जानना ही महत्वपूर्ण नही है कि विश्व किस तरह से संचालित होता है, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि वह संचालन कैसे होता है। 1909 अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने उस समय प्रचलित परमाणु संरचना के सिद्धांत की जांच के लिये एक प्रयोग करने का निश्चय कीया। इस प्रयोग मे उन्होने इन नन्हे कणो के अंदर देखने का एक ऐसा तरीका ढुंढ निकाला जो सूक्ष्मदर्शी से संभव नही था।

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