रवीन्द्र ने अच्छा बड़ा प्लाट खरीदा था। जितना लम्बा था उतना ही चौड़ा था। काफी समय से उसका सपना था अपने घर का। चलो यह भी पूरा हो जाएगा। लेकिन नक्शानवीस (आर्किटेक्ट) ने उसे बताया कि लम्बाई-चौड़ाई बराबर होने के कारण प्लाट का काफी बड़ा भाग व्यर्थ जा रहा है, साथ ही रवीन्द्र के मनचाहे आकार के कमरे भी नहीं बन पाएंगे। अब, क्या करे वह ? अभी रवीन्द्र यह सोच ही रहा था कि उसका मित्र पाठक उसे मिला। वह जमीन के लेन-देन का काम करता था। उसने रवीन्द्र को सुझाव दिया कि यह प्लाट दे कर वह सामने वाली लाइन का प्लाट नं.१ खरीद ले। हां, वह प्लाट इस प्लाट से ३६ वर्ग मीटर छोटा जरूर है। लेकिन सड़क की तरफ वाले मुंह की तरफ ३१ मीटर चौड़े उस प्लाट की गहराई उसकी चौड़ाई से कम थी। रवीन्द्र ने प्लाट देखा तो उसे भा गया। उसने सौदा कर लिया। अब आएगा मजा, यह सोच कर उसने मजदूरों को पहले प्लाट के नाप के अनुसार लगाने के लिए मंगवाई गई कांटेदार तार को इस प्लाट पर लगाने के लिए कहा। और यह उसके लिए आश्चर्य की बात ही थी कि जो तार पहले प्लाट के लिए मंगवाई गई थी, वह इस प्लाट के लिए भी पूरी हो गई थी। न बची और न घटी। क्या आप बता सकते हैं कि दोनों प्लाटों का अलग-अलग क्षेत्रफल क्या था?
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). I have finished my assignment. Now I will submit
it. The teacher has told us to submit it by next
Monday.
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hi how are you I am fine if you also then mark as brain list
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