‘रव शेष रह गए हैं निर्झर’ का आशय स्पष्ट कीजिये l
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‘रव शेष रह गए हैं निर्झर’ का आशय...
‘सुमित्रानंदन पंत’ द्वारा रचित “पर्वत प्रदेश में पावस” कविता की इन पंक्तियों का आशय है कि पल-पल बदलते इस मौसम में बादलों के चारों तरफ छा जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे पर्वत जैसे गायब हो गए हैं और मानो पूरा आकाश ही धरती पर टूट कर आकर गिर पड़ा हो, केवल झरने ही शेष रह गए हैं, यानी चारों तरफ तेज झरनों का ही शोर सुनाई दे रहा है।
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