रविंद्रनाथ की कल्पना की दुनिया में क्या क्या था
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अस्ल में, शांति निकेतन में विश्व भारती की स्थापना के बाद शिक्षाविद के तौर पर मशहूर हुए टैगोर को 'गुरु' या 'गुरुदेव' कहा जाता रहा और दुनिया के शीर्ष कवियों में शुमार होने पर 'विश्व कवि'. उल्लेखनीय है कि 27 दिसंबर 1911 को 'जन-गण-मन' कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार टैगोर ने गाया था.
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