रविदास जी के 5 दोहे in hindi
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1.
करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस।
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास।।
2.
कृष्ण, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा।।
3.
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।।
4.
जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।
जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।
5.
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।।
आशा है कि इससे सहायता मिलेगी।
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- ऐसा चाहूँ राज मैं जहाँ मिलै सबन को अन्न । छोट बड़ो सब सम बसै , रैदास रहै प्रसन्न ।।
- कह रैदास तेरी भगति दूरि है , भाग बड़े सो पावै । तजि अभिमान मेटि आपा पर , पिपिलक हवै चुनि खावै ।।
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