रविदास जी के भक्ति भावना
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अन्ततः स्पष्ट है कि संत रविदास संत से भी बढ़कर भक्त कवि हैं। गुरू रविदास जी ने साधना मार्ग को सर्वोत्तम माना है। उनके अनुसार भक्ति सच की पहचान है। इसके विना नाचना गाना, तप, जप, दान, भ्रमवश कर्म करना इन्द्रिय-निग्रह, तप की शुद्धि के लिए मुद्राएं धारण आदि सब भ्रम एवं व्यर्थ है।
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