Ravindar nath tegor Anmol kathn sirf tark karne vale ka dimag aise pr 750 words eassy
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तर्क करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी किसी का अपना नहीं बन पाता। वह लाख लोगों का बनकर रहना चाहता हो मगर उसे लोग उसके स्वभाव के कारण नापसंद करते हैं।
इसलिए बचपन से हम सबको सीखाया जाता है कि सर्वभाव में मिठास लाओ कम गुस्सा क्यों। संयम रखो।
गुरु देव का भी यही कहना था।
इसलिए बचपन से हम सबको सीखाया जाता है कि सर्वभाव में मिठास लाओ कम गुस्सा क्यों। संयम रखो।
गुरु देव का भी यही कहना था।
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मित्र , हमे तर्क से बचना चाहिए क्योंकि ,सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाकू की तरह है जिसमें सिर्फ बुलेट है और इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है >>
आपका यह कथन बहुत सारे तथ्यो पर सत्य भी है । क़्योंकि आज कल के समाज में सिर्फ तर्क करना सभी समस्याओं का हल नहीं है , इसलिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम किस के सामने क्या बात कर रहे हैं , क्योंकि हमारी एक विवाह बात और एक ब्लड शामिल होती है ।
जैसे कि सामने वाले व्यक्ति को बुरा लग सकता है ।
और वह हमारी पिटाई कर सकता है , इसीलिए कहा गया है कि सिर्फ करके आने की बकबक करने वाला दिमाग एक चाकू की तरह होता है और उसका प्रयोग करता है उसी का हाथ काटता है ।
आपका यह कथन बहुत सारे तथ्यो पर सत्य भी है । क़्योंकि आज कल के समाज में सिर्फ तर्क करना सभी समस्याओं का हल नहीं है , इसलिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम किस के सामने क्या बात कर रहे हैं , क्योंकि हमारी एक विवाह बात और एक ब्लड शामिल होती है ।
जैसे कि सामने वाले व्यक्ति को बुरा लग सकता है ।
और वह हमारी पिटाई कर सकता है , इसीलिए कहा गया है कि सिर्फ करके आने की बकबक करने वाला दिमाग एक चाकू की तरह होता है और उसका प्रयोग करता है उसी का हाथ काटता है ।
Shaizakincsem:
These are not 750 words
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