ravindra kelekar ke baare me bataye........
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7 मार्च 1925 को कोकण क्षेत्र में जन्मे रवींद्र केलेकर छात्र जीवन से ही गोवा
मुक्ति आंदोलन में शामिल हो गए थे। गांधीवादी चिंतक के रूप में विख्यात
केलेकर ने अपने लेखन में जन-जीवन के विविध पक्षों, मान्यताओं और
व्यक्तिगत विचारों को देश और समाज के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया है। इनकी
अनुभवजन्य टिप्पणियों में अपने चितन की मौलिकता के साथ ही मानवीय सत्य
तक पहुँचने की सहज चेप्य रहती है।
कोंकणी और मराठी के शीर्षस्थ लेखक और पत्रकार रवींद्र केलेकर की
कोंकणी में पच्चीस, मराठी में तीन, हिंदी और गुजराती में भी कुछेक पुस्तके
प्रकाशित हैं। केलेकर ने काका कालेलकर की अनेक पुस्तकों का संपादन और
अनुवाद भी किया है।
गोवा कला अकादमी के साहित्य पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित
केलेकर की प्रमुख कृतियाँ हैं-कोकणी में उजवाडाचे सूर, समिधा, सांगली,
ओथांबे; मराठी में कोंकणीचें राजकरण, जापान जसा दिसला और हिंदी में पतझर
में टूटी पत्तियाँ।
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रवीन्द्र केलकर (7 मार्च 1925 – 27 अगस्त 2010) कोंकणी साहित्य के सबसे मजबूत स्तंभ थे। 85 वर्षीय इस महान हस्ती को वर्ष 2006 का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। उनकी प्रमुख रचनाओं में आमची भास कोंकणीच, 'बहुभाषिक भारतान्त भाषान्चे समाजशास्त्र' शामिल हैं।