Ravish malhotra essay in hindi(astronaut)
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विंग कमांडर राकेश शर्मा. अंतरिक्ष तक की छलांग लगाने वाले पहले हिंदुस्तानी. एक जाना पहचाना नाम. लेकिन अगर अंतरिक्ष में राकेश शर्मा नहीं जाते तो कौन होता वो दूसरा हिंदुस्तानी जिसके सिर इस कामयाबी का सेहरा सजता.
वो नाम है रवीश मल्होत्रा.
1984 के इस मिशन के लिए रवीश, उन दो पायलटों में से थे, जिन्होंने रूस में ट्रेनिंग ली. राकेश शर्मा अगर मुख्य दल का हिस्सा थे, तो रवीश मिशन के बैकअप एस्ट्रोनॉट.
शुरुआत में ही हमें पता था कि हम दोनों को ही चुना गया है. सिर्फ एक को अंतरिक्ष में जाना है और दूसरे को यहीं ठहरना है. फिर भी ये एक ऐसा तजुर्बा था, जिससे रिकी(राकेश शर्मा) और मेरे अलावा कोई दूसरा हिंदुस्तानी नहीं गुजरा.
रवीश मल्होत्रा, एयर कमोडोर (रिटा.)
हालांकि रवीश शुरुआत से आसमान की सैर करना नहीं चाहते थे, उनका दिल तो समंदर की गहराइयां नापना चाहता था. वो हमेशा नेवी ज्वाइन करना चाहते थे.
पुराने दिनों को याद कर रवीश बताते हैं, “पता नहीं क्यों मुझे नेवी ज्वाइन करने की इच्छा थी. जब मैं सेलेक्शन के लिए गया तो मुझे कहा गया कि नेवी के लिहाज से आपकी नजर ठीक नहीं है हालांकि एयरफोर्स के लिए ये ठीक है. उस समय एयरफोर्स कैडेट की भी कमी थी. मैंने हामी भर दी और इस तरह मैं एयरफोर्स का हिस्सा बन गया. वो भी बतौर फाइटर पायलट”
रवीश ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में हिस्सा लिया. इस दौरान मौत से उनकी आंख-मिचौली भी हुई.