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विधाता ने प्रकृति के प्रत्येक प्राणी को स्वतंत्र जीवन प्रदान किया है । स्वाधीनता के सम्मुख सभी सांसारिक सुख फीके पड़ जाते हैं । यदि पराधीनता । मानवीय मूल्यों का विनाश करने वाली न होती तो हमारे स्वाधीनता सैनानियों को अपने प्राणों का बलिदान न करना पड़ता । हम देखते हैं कि कभी मानव ने मानव को तथा कभी मानव ने किसी पशु-पक्षी को बंदी बनाया है । दासता किसी के लिए भी घोर शाप के समान है । पराधीन भारतीयों ने अंग्रेज़ों की दासता के विरुद्ध कठोर संघर्ष किया । पिंजरे में कैद पक्षी अपने पंख फड़फड़ाता है, इधर-उधर चहल कदमी करता है, इससे उसके दुख और तकलीफ़ का पता चलता है । राष्ट्रकवि दिनकर ने स्पष्ट घोषणा की थी कि वही राष्ट्र या जाति जीवित रह पाती है जो स्वाधीनता का मूल्य जानती है तथा विपरीत परिस्थितियों का भी बिना घबराए मुकाबला करती है।
1 लेखक ने किसे सांसारिक सुखों से बढ़कर बताया है ? उत्तर
2 पराधीनता किसका विनाश करती है ?
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sorry I don't know how to write in hindi
Explanation:
but I know
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