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अर्जुन बोले- हे कृष्ण! यहाँ मैं युद्ध के अभिलाषी स्वजनों को ही देखता हूँ। मेरे अंग शिथिल हुए हो रहे हैं और मुख सूख रहा है और मेरा शरीर काँप रहा है और रोएं खड़े हो रहे है॥ ऐसा गीता में किस श्लोक में कहा गया है
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