Hindi, asked by Anonymous, 6 months ago

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थूके, मुझ पर त्रैलोक्य भले ही थूके, जो कोई जो कह सके, कहे, क्यों चूके? छीने न मातृपद किंतु भरत का मुझसे, रे राम, दुहाई करूँ और क्या तुझसे? कहते आते थे यही अभी नरदेही, 'माता न कुमाता, पुत्र कुपुत्र भले ही।' अब कहें सभी यह हाय! विरुद्ध विधाता, 'हैं पुत्र पुत्र ही, रहे कुमाता माता। 'बस मैंने इसका बाहय- मात्र ही देखा, दृढ़ हृदय न देखा, मृदुल गात्र ही देखा। परमार्थ न देखा, पूर्ण स्वार्थ ही साधा, इस कारण ही तो हाय आज यह बाधा। युग-युग तक चलती रहे कठोर कहानी -रघुकुल में भी थी एक अभागिन रानी।' निज जन्म-जन्म में सुनें जीव यह मेरा- 'धिक्कार ! उसे था महा स्वार्थ ने घेरा।' सौ बार धन्य वह एक लाल की माई, जिस जननी ने है जना भरत-सा भाई' पागल-सी प्रभु के साथ सभा चिल्लाई "सौ बार धन्य वह एक लाल की माई।"

Q1. कैकेयी के कारण माता - पुत्र से संबंधित कौन सी उक्ति उलट हुई - *
1. पुत्र - पुत्र ही रहता है , माता भले ही कुमाता हो जाए
2. रघुकुल की रानी अभागिन थी , क्योंकि उसने राम को वन में भेज दिया
3. पुत्र कुपुत्र हो , पर माता कभी कुमाता नहीं होती
4. भरत का मातृपद कैकेयी से कोई नहीं छीन सकता ।
Q2. रानी के मन में क्या भाव प्रकट हो रहे है- *
1. क्रोध
2. पुत्र- प्रेम
3.पश्चाताप
4. स्वार्थ
Pls answer fast

Answers

Answered by salonichauhan1005
1

Answer:

क्रोध का प्रेम पुत्र प्रेम पुत्र प्राप्त करें प्लीज आंसर फास्ट एंड फास्ट प्लीज आंसर फास्ट फास्ट प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज फास्ट

Answered by singdilseyouth
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Answer:

4.स्वार्थ

Explanation:

कैकेयी को स्वार्थ ने घेर रखा था

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