Hindi, asked by annanya202428, 1 year ago

Real story about rani padmavati in hindi


Zunairah23: y do u need
annanya202428: I want to know

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Answered by Abhaygupta12345
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रानी पद्मावती सुल्तान के आमने-सामने नहीं होना चाहती थीं। लिहाजा, शीशे का इस तरह प्रबंध किया गया कि सुल्तान रानी की छाया उसमें देख सके। रानी की एक झलक देखकर अलाउद्दीन खिलजी रानी पर मोहित हो गया। उसने मन ही मन तय कर लिया कि वो रानी पद्मावती को लिए बिना दिल्ली नहीं लौटेगा।



12वीं-13वीं सदी के दौरान दिल्ली सल्तनत का बादशाह अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मावती की सुंदरता की कहानी सुनकर बेकरार हो गया था और रानी की एक झलक पाने के लिए अपनी सेना के साथ चितौड़गढ़ कूच कर गया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिल्म पद्मावत गुरुवार (25 जनवरी) को देशभर में रिलीज तो हो रही है लेकिन करणी सेना के लोग उसके विरोध में राजस्थान, हरियाणा, गुजरात समेत कई राज्यों में हंगामे पर उतारू हैं। वो इस बात पर अडिग हैं कि फिल्म राजपूत अस्मिता के खिलाफ है। बता दें कि निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली की यह फिल्म हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन कवि मलिक मुहम्मद जायसी की रचना ‘पद्मावत’ पर आधारित है। इस रचना में कवि ने राजस्थान के चितौड़गढ़ की राजपूत रानी के सौंदर्य की कहानी का वर्णन किया है। रानी पद्मावत को पद्मिनी नाम से भी जाना जाता है। पद्मावत में इस बात की चर्चा है कि 12वीं-13वीं सदी के दौरान दिल्ली सल्तनत का बादशाह अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मावती की सुंदरता की कहानी सुनकर बेकरार हो गया था और रानी की एक झलक पाने के लिए अपनी सेना के साथ चितौड़गढ़ कूच कर गया था।

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दरअसल, पद्मिनी उर्फ पद्मावती सिंहल प्रांत के राजा गंधर्वसेन और माता चंपावती की संतान थीं। कहा जाता है कि पद्मिनी के पास हीरामणी नाम का एक तोता भी था, जिसके साथ वह अक्सर संवाद किया करती थी। राजा गंधर्वसेन ने बेटी की शादी के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था, जिसमें हिन्दू राजाओं और राजपूतों को बुलाया गया था। इस स्वयंवर में चितौड़गढ़ के राजा रावल रतन सिंह ने एक छोटे प्रांत के राजा मलखान सिंह को पराजित कर पद्मिनी को हासिल किया था। पद्मिनी रतन सिंह की दूसरी पत्नी थीं। विवाह के बाद ये लोग चितौड़गढ़ लौट आए।


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राजा रतन सिंह एक अच्छे शासक के साथ ही कला के संरक्षक भी थे, इसलिए उनके दरबार में कई तरह के लोग शामिल थे। उनके दरबार में राघव चेतन नाम का एक संगीतकार भी था। चेतन तंत्र-मंत्र भी जानता था, यह बात सभी से छुपी हुई थी लेकिन एक दिन उसे तंत्र-मंत्र करते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। इसके बाद राजा रतन सिंह ने उसे अपने राज्य से निकाल दिया। कहा जाता है कि राजा ने उसके चेहरे पर कालिख भी पुतवा दी थी। इससे वह काफी नाराज था, उसने राजा से बदला लेने की ठान ली। इसलिए, चितौड़गढ़ से निष्कासन के बाद राघव चेतन अलाउद्दीन खिलजी के दिल्ली दरबार में पहुंच गया।

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Answered by Zunairah23
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राजा मलखान सिंह भी उनसे विवाह करने के लिये पधारे थे।



चित्तोड़ के राजा रावल रतन सिंह रानी नागमती के होते हुए भी स्वयंवर में आये थे। और उन्होंने मलखान सिंह को पराजित कर पद्मिनी से विवाह भी कर लिया था। क्योकि राजा रावल रतन सिंह स्वयंवर के विजेता थे। स्वयंवर के बाद वे अपनी सुंदर रानी पद्मिनी के साथ चित्तोड़ लौट आये थे।

12 वी और 13 वी शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के आक्रमणकारीयो की ताकत धीरे-धीरे बढ़ रही थी। इसके चलते सुल्तान ने दोबारा मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया था। इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी ने सुंदर रानी पद्मावती को पाने के इरादे से चित्तोड़ पर भी आक्रमण कर दिया था। यह पूरी कहानी इतिहासकार अलाउद्दीन के लिखान पर आधारित है जिन्होंने इतिहास में राजपूतो पर हुए आक्रमणों को अपने लेखो से प्रदर्शित किया था।

लेकिन कुछ लोगो को उनकी इन कहानियो पर जरा भी भरोसा नही था क्योकि उनके अनुसार अलाउद्दीन के लेख मुस्लिम सूत्रों पर आधारित थे, जिसमे मुस्लिमो को महान बताया गया था। उनके अनुसार अलाउद्दीन ने इतिहास के कुछ तथ्यों को अपनी कलम बनाकर काल्पनिक सच्चाई पर आधारित कहानियाँ बनायी थी।
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