real story of the great maratha tanaji malusare
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ताना जी मालुसरे छत्रपति शिवा जी महाराज के घनिष्ठ मित्र और वीर निष्ठावान मराठा कोली सरदार थे |
ताना जी और छत्रपति शिवा जी बचपन में साथ खेलते थे ताना जी जब अपने पुत्र रायबा के विवाह के लिए छत्रपति जी को आमंत्रित करने गए तब उन्हें ज्ञात हुआ की शिवा जी कोंढाणा पर चढ़ाई करने वाले है , तब ताना जी ने अपने पुत्र के विवाह को महत्व न देते हुए शिवा जी से कहा की मैं कोंढाणा पर आक्रमण करूँगा | शिवा जी की सेना में कई सरदार थे लेकिन उन्होंने ताना जी को कोंढाणा आक्रमण के लिए चुना इस युद्ध के समय जब उनकी ढाल टूट गई तो तानाजी मालुसरे जी ने अपने सिर की पगड़ी को अपने हाथ पर बांधा और तलवार के वार अपने हाथों पर लिये एक हाथ से वे तेजगति से तलवार चलाते रहे , कोंढाणा किले के किलेदार उदयभान राठौर से तानाजी मालुसरे जी ने युद्ध किया और ढाल टूटने के कारण उदयभान की तलवार से तानाजी मालुसरे का एक हाथ कट गया और वीरगति को प्राप्त हुए और स्वराज्य में शामिल हो गया लेकिन तानाजी मारे गए थे | शिवा जी ने जब यह बात सुनी कि ताना जी नहीं रहे तो उन्होंने कहा कि "गढ़ तो जीत लिया, लेकिन मेरा सिंह नहीं रहा"
- तानाजी मालुसरे की स्मृति में कोंढाणा दुर्ग का नाम बदलकर सिंहगढ़ कर दिया गया है। पुणे नगर के 'वाकडेवाडी' नामक भाग का नाम बदलकर 'नरबीर तानाजी वाडी' कर दिया गया है।
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Q.1.- Who is. Tanaji??
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Q.2.- Who is tanaji malusare of shivaji maharaj?
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Q.3.- Tanaji s brother name
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