reetikaavy ki vibhinna dharao ke bare mein likhiye
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रीतिकाल की दो प्रमुख धारा थी वह रीतिबद्ध रूप से काग का निर्माण करना था रीति की प्रवृत्ति में जो अपनी सोच को अपनी अभिव्यक्ति को भूत कर काव्य की रचना जो की जाती थी वह एक विशेष प्रकार की रचनाएं होती थी जो श्रृंगार से जुड़ी हुई होती थी साथी इस काल में केशव मोतीराम चिंता मत चिंतामणि जी बिहारी आलम और ठाकुर जैसी बहुत सी प्रसिद्ध कवि नहीं है और इस काल में बहुत सुंदर सुंदर काव्य शादियों की रचना की गई
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