report on plastic use in hindi
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पश्चिमी यूरोप में, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 92 किलोग्राम प्लास्टिक की खपत होती है, और यह मात्रा बढ़ रही है। दुनिया भर में प्रति व्यक्ति उपयोग लगभग 35 किलोग्राम है। प्लास्टिक कचरे की सबसे बड़ी मात्रा पैकेजिंग उद्योग से आती है: दो तिहाई घरों से उत्पन्न होती है और एक तिहाई उद्योग और वाणिज्य द्वारा।
प्लास्टिक का भौतिक विज्ञान
प्लास्टिक का बड़े पैमाने पर उपयोग 1950 के दशक में शुरू हुआ और तब से अब तक लगातार बढ़ रहा है। आज, सालाना 300 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है। जबकि यूरोप में पिछले एक दशक में प्लास्टिक का उत्पादन अपेक्षाकृत स्थिर रहा है, विशेष रूप से विकासशील देशों में यह लगातार बढ़ रहा है।
प्लास्टिक की लोकप्रियता न केवल इसकी कम उत्पादन लागत के कारण है, बल्कि इसके कम वजन, एसिड प्रतिरोध और लचीलेपन सहित इसकी कई व्यावहारिक विशेषताओं के कारण है। इसके अलावा, प्लास्टिक के लचीले गुण तकनीकी नवाचारों को प्रोत्साहित करते हैं और विशेष रूप से चिकित्सा के क्षेत्र में, प्रौद्योगिकी निर्माण, और विमान और ऑटोमोबाइल विनिर्माण-नए समाधान, सुधार और आराम के लिए नेतृत्व करते हैं।
फिर भी प्लास्टिक का जबरदस्त सेवन कई समस्याओं को भी प्रस्तुत करता है। प्लास्टिक का एक बड़ा हिस्सा कचरे में जल्दी खत्म हो जाता है। जैसा कि मानक प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं है, प्लास्टिक दशकों या यहां तक कि सदियों से हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले अनुचित तरीके से मना करता है। आज, प्लास्टिक के पहाड़ कचरे के ढेर और प्राकृतिक दुनिया में ढेर हो रहे हैं। खपत बढ़ने के साथ ही इस समस्या के दूरदर्शी और समग्र समाधान की तत्काल आवश्यकता है।
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पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हैं जिनमें प्लास्टिक एक बहुत बड़ा खतरा बनकर उभरा है। दिन की शुरूआत से लेकर रात में बिस्तर में जाने तक अगर ध्यान से गौर किया जाए तो आप पाएंगे कि प्लास्टिक ने किसी न किसी रूप में आपके हर पल पर कब्जा कर रखा है।
टूथब्रश से सुबह ब्रश करना हो या ऑफिस में दिन भर कम्प्यूटर पर काम, बाजार से कोई सामान लाना हो या टिफिन और वॉटर बॉटल में खाना और पानी लेकर चलना। प्लास्टिक हर जगह है, हर समय है। आइए पहले जानते हैं प्लास्टिक से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जो पर्यावरण के प्रति प्लास्टिक से उपजे खतरे की तस्वीर साफ करते हैं।
पूरे विश्व में प्लास्टिक का उपयोग इस कदर बढ़ चुका है और हर साल पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक फेंका जाता है कि इससे पूरी पृथ्वी के चार घेरे बन जाएं। प्लास्टिक केमिकल बीपीए शरीर में विभिन्न स्त्रोतों से प्रवेश करता है। एक अध्ययन में पाया गया कि 6 साल से बड़े 93 प्रतिशत अमेरिकन जनसंख्या प्लास्टिक केमिकल BPA ( कुछ किस्म का प्लास्टिक साफ और कठोर होती है, जिसे बीपीए बेस्ड प्लास्टिक कहते हैं, इसका इस्तेमाल पानी की बॉटल, खेल के सामान, सीडी और डीवीडी जैसी कई वस्तुओं में किया जाता है ) को अवशोषित कर लेती है।
अरबों पाउंड प्लास्टिक पृथ्वी के पानी स्त्रोतों खासकर समुद्रों में पड़ा हुआ है। 50 प्रतिशत प्लास्टिक की वस्तुएं हम सिर्फ एक बार काम में लेकर फेंक देते हैं। प्लास्टिक के उत्पादन में पूरे विश्व के कुल तेल का 8 प्रतिशत तेल खर्च हो जाता है। प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म होने में 500 से 1,000 साल तक लगते हैं। प्लास्टिक के एक बेग में इसके वजन से 2,000 गुना तक सामान उठाने की क्षमता होती है।
हम जो कचरा फैंकते हैं उसमें प्लास्टिक का एक बड़ा हिस्सा होता है। क्या आप ने कभी सोचा यह कचरा जाता कहां हैं? आप कहेंगे अचानक इस सवाल की जरूरत कैसे आन पड़ी।
सवाल का जवाब पाने के लिए करते हैं थोड़ा इंतजार और पहले प्लास्टिक से जुड़े कुछ और तथ्यों पर नजर डालते हैं। पृथ्वी पर सभी देशों में प्लास्टिक का इस्तेमाल इतना बढ़ चुका है कि वर्तमान में प्लास्टिक के रूप में निकलने वाला कचरा विश्व पर्यावरण विद्वानों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। विकसित देश अक्सर भारत जैसे विकासशील या अन्य विभिन्न अविकसित देशों में इस तरह का कचरा भेज देते हैं। अथवा ऐसे कचरे को जमीन में भी दबा दिया जाता है। जमीन में दबा यह कचरा पानी के स्त्रोतों को प्रदूषित कर हमारे जीवन के लिए बड़े खतरे के रूप में सामने आता है। प्लास्टिक की चीजें, जितनी भी आप सोच सकते हैं, अक्सर ही पानी के स्त्रोतों में बहुत ज्यादा मात्रा में पड़ी मिलती हैं।
प्लास्टिक नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल होता है। नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल ऐसे पदार्थ होते हैं जो बैक्टीरिया के द्वारा ऐसी अवस्था में नहीं पहुंच पाते जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। कचरे की रिसायकलिंग बेहद जरूरी है क्योंकि प्लास्टिक की एक छोटी सी पोलिथिन को भी पूरी तरह से छोटे पार्टिकल्स में तब्दील होने में हजारों सालों का समय लगता है और इतने ही साल लगते हैं प्लास्टिक की एक छोटी सी पोलिथिन को गायब होने में।
जब प्लास्टिक को कचरे के तौर पर फेंका जाता है यह अन्य चीजों की तरह खुदबखुद खत्म नहीं होता। जैसा कि हम जानते हैं इसे खत्म होने में हजारों साल लगते हैं यह पानी के स्त्रोतों में मिलकर पानी प्रदुषित करता है।
प्लास्टिक बैग्स बहुत से जहरीले केमिकल्स से मिलकर बनते हैं। जिनसे स्वास्थ्य और पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचती है। प्लास्टिक बैग्स बनाने में जायलेन, इथिलेन ऑक्साइड और बेंजेन जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल होता है। इन केमिकल्स से बहुत सी बीमारियां और विभिन्न प्रकार के डिसॉडर्स हो जाते हैं। प्लास्टिक के केमिकल पर्यावरण के लिए भी बेहद हानिकारक होते हैं जिससे इंसान, जानवरों, पौधों और सभी जीवित चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक को जलाने और फेंकने पर जहरीले केमिकल्स का उत्सर्जन होता है।
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