report on rui sa lakar kapra Banana tak ka safar in hindi
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Explanation:
रेखा को लगा कि पौधा बोल रहा है - "मेरा नाम कपास है | तुमने जो कपड़े पहने हुए हैं, वे कपास से ही बने हैं | मैं खेत में ही पैदा हुई और बढ़ी हूँ | मेरे ऊपर ये डोडियाँ लगी हैं | ये जब पकेंगी, तो फूट जाएँगी | इनमें कपास भरी हुई है | è
5;पास के अन्दर बीज होते हैं | किसान बीजों को अलग कर लेते हैं | इन बीजों से ही नये पौधे पैदा होते हैं | मेरे बीजों को बिनौले कहा जाता है | बिनौले अलग करने के बाद कपास को रुई कहते हैं |"
रुई की पूनियाँ बना कर चरखे पर काती जाती हैं | उनसे धागे निकलते हैं | इन धागों से ताना तना जाता है | अगर रंगदार कपड़ा बनाना हो, तो इन धागों को पहले रंग लिया जाता है | फ़िर ताना तना जाता है |
फ़िर ताने को खड्डी पर चढ़ा कर कपड़ा बुन लिया जाता है | दरी, खेस, चादर आदि इसी तरह बुनी जाती हैं | इसी तरह खद्दर भी बुना जाता है |
कपड़ा बुनने के बड़े-बड़े कारखानों में कातने, बुनने का काम मशीनों से होता है | वे मशीनों बिजली से चलती हैं |
रेखा ने पुछा - "क्या सभी कपड़े रुई से ही बन जाते हैं ?"
कपास के पौधे ने उत्तर दिया - "अधिक कपड़े तो मेरी रुई से ही बुने जाते हैं | परन्तु कुछ कपड़े रेशम से भी बुने जाते हैं |"
रेखा ने पूछा - "रेशम क्या ? वह भी पौधों पर लगता है ?"
कपास के पौधे ने हँसकर कहा - " नहीं, रेशम तो एक कीड़े से मिलता है | उस कीड़े की शक्ल अंडे जैसी बन जाती है | उसके ऊपर मुलायम धागे होते हैं | वे उतार कर कात लिए जाते हैं | फ़िर उनसे कपड़ा बुन लिया जाता है | यह कपड़ा मेरी कपास से बने कपड़े से अधिक कोमल और सुन्दर होता है ; परन्तु बहुत महंगा होता है |"
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