Ri8.
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स्वतंत्रता
हमारा जन्मसिध्द
अधिकार है।
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Answer:
वास्तव में स्वंत्रता प्रत्येक जीव का जन्मसिद्ध अधिकार है। कैद जानवर, पशु-पक्षी एवं समस्त जीव स्वतंत्रता की अभिलाषा रखतें है स्वतंत्रता में स्वच्छंदता भटकाव की ओर न ले जाये, इसके लिए आत्मनियत्रंण और आत्मसुधार की निरन्तर आवश्यकता है। शासन, सत्ता की वासना से मुफ्त में प्राप्त स्वतंत्रता का दुरूपयोग मानवीय सभ्यता को विचलित करने वाला है। जिसकी सहमति में आज विश्व के कई देश उतर चुके है।
संगठित रूप सें कटूरचना! मनुष्यों द्वारा मनुष्यो की स्वतंत्रता समाप्त की जा रही है। आज कमजोर विचारों को मजबूत विचारों से अधिग्रहित किया जा रहा है धर्मान्तरण, जनसंख्या विस्फोट एवं रोहिंग्यिा इसका ज्वलंत उदाहरण है। संगठित रूप से विचारधारा को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है और भटकी हुई विचाराधारा के विध्वंसात्मक प्रयोग से राष्ट्रीयता पर खतरा मंडरा रहा है। आत्मिक स्वतंत्रता जाने अनजाने में प्रतिबंधित हो चुकी है। जो वास्तव में स्वतंत्र हैं स्वतंत्रता प्राप्त है उन्हें विभिन्न माध्यमों से भारतीययिता को पुर्नजीवन देने के उद्देश्य में अपने कत्र्वयों का निवर्हन करना होगा। जिससे भटके हुये भारतवासीयों को पुनः भारतीय मूल्यों, परम्पराओं एवं संस्कृति को बचाते हुये विकास की गति को पुर्नरूधार के रूप में नियोजन करना होगा। धर्म रक्षते रक्षिता के अनुसार अपनी प्राथकिताओं मूल्यों पर पुनः विचार करते हुये स्वतंत्र विचारों के साथ एक चरणबद्ध प्रक्रिया के द्वारा अगली पीढ़ी में पूर्ण स्वराज्य हस्तानान्तरित करने का आन्दोलन वर्तमान राष्ट्रीयता व आत्मविकास के सुदृढ़ीकरण के लिए आवश्यक हो गया है।
15 अगस्त, 1947 में मिलने वाली स्वतंत्रता भारतीययिता की थी, हमारे पास पश्चात्य संस्कृति, एवं तौर-तरीके और कुछ ‘‘जन-गण-मन के अधिनायक’’ उपलब्ध संसाधनो मे शेष थे, कृषि के आभावहीन तरीके, विचारों पर पश्चात्य छाप और बहुत कुछ स्वतंत्रता को सहेज कर रखने वाले विभिन्न विषयों के अवशेष एवं विचार भी दस दशकों की गुलामी और पश्चात्य सभ्यता से प्रभावित थें। स्वतंत्रता के समय से अधिनायकों की विदेशी मानसिकता के चलते भारतीययिता को अपने स्वार्थो के अनुसार विश्व के समाने इस तरह प्रस्तुत किया गया मानो विदेश से ठेका लिया हुआ हो की भारतीय अपने देश को भले ही आजाद करवा लें लेकिन आने वाले वर्षो में हम प्रत्येक भारतीय को विदेशी मानसिकता का शिकार बना कर आपके सुपुर्द कर देंगें। भारतीय समृद्धि का निर्यात और अनुपयोगी, भ्रमकारक तथ्यों, वस्तुओं के चलन ने भारतीययिता को कहीं का नहीं छोड़ा भारतीययिता विलुप्त प्रायः होने को है। भारतीय अतुल्य इतिहास से स्वतंत्रता का सूर्य निकलेगा फिर से सोने की चिड़िया का कलरव विश्व में गूंजेगा तब, जब हम स्वतंत्र रूप से भारतीययिता को सहेजेगें एवं भारतीय मूल्यों के विकास की दृढ़ंता अपनायेंगें।
वर्तमान भारतीयता को चाहिये विलुप्त होती भारतीय एतिहासिक धरोहरों पुर्नस्थापना की जाये कृषि के उत्पादन, संसाधनों का समर्थता से भारतीयों को सक्षम किया जाये, कौशल विकास की स्वतंत्रता अतिंम भारतीय को मिले, भारतीय मूल्यों को हथियार बना कर पुनः विश्व गुरू की मान प्रतिष्ठा की स्थापना की जाये। वैचारिक स्वतंत्रता में राष्ट्रीयता का नेतृत्व हो सर्वधर्म समभाव की उदार नीति सेे भारतीयता का धात न हो सके हमे स्वतंत्र होना चाहिये धर्म, समाज, परिवार के मूल्यों की स्थापना से हमें स्वतंत्रता हो अधिकारों के हनन से, भारतीय प्रतिभाओं के विकास की स्वतंत्रता हो, सहयोग हो प्रत्येक भारतीय को भारतीय से, प्रत्येक क्षण स्वतंत्रता अनुभव करने अवसर प्राप्त हो।
यदि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है इसका अर्थ भारतीय मूल्यों को त्यागने में नहीं वरन भारतीय मूल्यों को पहचानने और उन्हें आत्मसात करने से है एवं गौरवशाली इतिहास को सहेजने में निहित है। जाने अनजाने स्वतंत्रता के मूल्यों ने हमें पश्चात्य संस्कृति का पिछलग्गु बना दिया है अपनी संस्कृति को भूल दूसरी संस्कृति में हमे विकास तलाशने की अपेक्षा धार्मिक, आर्थिक एवं सामजिक रूप से भारतीय राष्ट्रीयता को अपने हृदय में बनाये रखना होगा एवं हम अपने आपको षडयत्रों से मुक्त कराना होगा तभी हम वास्तविक स्वतंत्रता का आनन्द ले पायेगें और राष्ट्रीय स्वतंत्रता को बनाये रखने में सहयोग प्रदान कर पायेंगें क्योकि स्वंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे हम लेकर रहेंगें.................................................................जयहिन्द!
Answer:
receives Rs. 10,000/- as pocket money from his father. He spends Rs. 5000/- on clothes. He spends 2,000/- on movie with friends and Rs. 500/- on fuel. He buys sweets for his mother for Rs. 500/- and spends Rs. 1000/- on mending his shoes. He has given the rest 1000 rupees to charity.
Explanation:
receives Rs. 10,000/- as pocket money from his father. He spends Rs. 5000/- on clothes. He spends 2,000/- on movie with friends and Rs. 500/- on fuel. He buys sweets for his mother for Rs. 500/- and spends Rs. 1000/- on mending his shoes. He has given the rest 1000 rupees to charity.